Monday, June 7, 2010

मुक्तक 38

संबंधों की खुशबू अपनेपन से ही आती है.नर-नारी के संबंध विश्वास पर ही
टिके हुए हैं.विश्वास होगा तो एक-दूसरे की रक्षा-सुरक्षा भी कर पाएँगे.प्रेम में
शिकवे-शिकायत तो होती ही रहती है.आज ज़्ररूरत है एक-दूसरे को समझने
की--

विचारों का गगन,नयनों की आशा क्यों नहीं करते
तुम अपनों की तरह से मुझको अपना क्यों नहीं करते
अकाल इतना भयानक आएगा,यदि मुझको रौंदोगे
मैं खेती हूँ तो तुम मेरी सुरक्षा क्यों नहीं करते !

डॉ. मीना अग्रवाल

2 comments:

Unknown said...

bahut hee saral aur prabhaavee muktak

संगीता पुरी said...

सुंदर मुक्‍तक !!